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प्रेमानंद जी महाराज द्वारा बताए गए सुख-शांति से जीवन जीने के 10 अनमोल विचार

Premanand Ji Maharaj Tips: प्रेमानंद जी महाराज भक्ति, सरल जीवन और सकारात्मक सोच के लिए पूरे भारत में श्रद्धा के साथ पूजे जाते हैं। उनके विचार जीवन में शांति, संतुलन और सच्चे सुख की ओर ले जाते हैं।  संत प्रेमानंद जी महाराज मानते हैं कि सच्चा सुख और शांति हमारे अंदर ही है, जिसे भक्ति और सत्कर्मों से पाया जा सकता है. उनके उपदेश जीवन को सरल, संयमित और धर्ममय बनाने की प्रेरणा देते हैं. आइए जानते हैं उनके 10 खास विचारों को…

1. जो काम शास्त्रों के खिलाफ है, वो हमारे लिए नुकसानदायक है

मूल विचार: “शास्त्र विरुद्ध क्रिया होगी, तो पतन का संयोग बन जाएगा।”

सरल समझ: अगर हम ऐसे काम करते हैं जो धर्म या शास्त्रों के खिलाफ हैं, तो हमारा नुकसान तय है। हमें हमेशा सोच-समझकर अच्छे कर्म करने चाहिए।

2. साफ खानपान और अच्छा व्यवहार जरूरी है

मूल विचार: “आहार और आचरण दोनों का शुद्ध होना अति आवश्यक है।”

सरल समझ: जो हम खाते हैं और जैसे हम लोगों से व्यवहार करते हैं, दोनों का असर हमारी आत्मा और सोच पर पड़ता है। इसलिए हमें शुद्ध भोजन और अच्छा व्यवहार अपनाना चाहिए।

3. निस्वार्थ सेवा ही असली दान है

मूल विचार: “फल की इच्छा से रहित होकर की गई सेवा ही सच्चा दान है।”

सरल समझ: अगर आप बिना किसी लालच के सेवा करते हैं, तो वही सच्चा दान होता है। सेवा में स्वार्थ नहीं होना चाहिए।

4. गुरु जिसे स्वीकार कर लें, उसे भगवान भी अपनाते हैं

मूल विचार: “जिसे गुरु स्वीकार कर लें, उसे स्वयं भगवान भी अस्वीकार नहीं कर सकते।”

सरल समझ: अगर कोई सच्चे गुरु की शरण में आ जाए और गुरु उसे अपना ले, तो भगवान भी उसे अपनाते हैं। गुरु का आशीर्वाद सबसे बड़ा होता है।

5. सबसे अमीर वो है जिसके पास भक्ति का धन है

मूल विचार: “इस संसार में वही धनी है जिसके पास नाम जप का धन है।”

सरल समझ: धन दौलत से बड़ा खजाना भगवान का नाम है। जो हर दिन भगवान का नाम जपता है, वही असली अमीर है।

6. बुरी सोच हमारे बुरे कर्मों का नतीजा है

मूल विचार: “पाप कर्मों का फल ही नकारात्मक विचारों के रूप में आता है।”

सरल समझ: अगर हमारे अंदर बुरे या नकारात्मक विचार आते हैं, तो वो हमारे पिछले बुरे कर्मों का फल हैं। अच्छे कर्म करने से मन भी साफ होता है।

7. भगवान में मन लगाना आसान नहीं – मेहनत करनी पड़ती है

मूल विचार: “मन स्वत: भगवान में नहीं लगेगा, हमें प्रयास करना ही पड़ेगा।”

सरल समझ: मन हमेशा इधर-उधर भटकता है। भगवान में मन लगाने के लिए रोज अभ्यास और श्रद्धा जरूरी है। धीरे-धीरे मन लगने लगेगा।

8. जैसी भी हालत में हो, भगवान की इच्छा मानकर खुश रहो

मूल विचार: “जिस स्थिति में भगवान रखें उसी स्थिति में संतुष्ट रहो।”

सरल समझ: भगवान जो भी परिस्थिति देते हैं, वो हमारे भले के लिए होती है। इसलिए दुख-सुख में एक जैसा संतोष रखना चाहिए।

9. जो अपमान करता है, वो हमारे पाप धोता है

मूल विचार: “आपका अपमान करने वाला आपके पाप नष्ट कर रहा है, बस सहन कर लीजिए।”

सरल समझ: जब कोई हमें बुरा कहता है या अपमान करता है, तो वो हमारे पुराने पापों को खत्म कर रहा होता है। इसलिए गुस्सा न करके सहन करना चाहिए।

10. अगर आप भगवान का नाम लेते रहेंगे, तो हमेशा आनंद में रहेंगे

मूल विचार: “यदि नाम जप चलता रहेगा तो आनंद स्थिर बना रहेगा।”

सरल समझ: रोज भगवान का नाम लेने से मन शांत और खुश रहता है। ये एक ऐसा सुख है जो कभी खत्म नहीं होता।

प्रेमानंद जी महाराज के ये विचार हमें…

प्रेमानंद जी महाराज के ये विचार हमें सिखाते हैं कि भक्ति, सेवा, संतोष और सकारात्मक सोच से जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है। अगर हम इन विचारों को अपने जीवन में उतार लें, तो हमारा हर दिन आध्यात्मिक ऊर्जा और सच्चे आनंद से भर जाएगा।

Hind Lehar

Writer & Blogger

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