Kim Jong Un Special Train: उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन छह साल बाद अपनी खास बुलेटप्रूफ ट्रेन से चीन पहुंचे। यहां वे बीजिंग में आयोजित द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार की 80वीं वर्षगांठ पर होने वाली सैन्य परेड में हिस्सा लेंगे। इस समारोह में उनके साथ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी मौजूद रहेंगे।
किम की परंपरागत शाही सवारी
किम जोंग उन की यह ट्रेन बहुत खास है। इसे उत्तर कोरिया में शाही सवारी कहा जाता है। उनके पिता और दादा भी इसी ट्रेन से विदेश यात्राएं करते थे। यह ट्रेन बुलेटप्रूफ कवच से ढकी हुई है। इसमें हथियार और सैनिक हमेशा मौजूद रहते हैं। सुरक्षा इतनी कड़ी होती है कि इसे भेद पाना लगभग नामुमकिन है।
हवाई यात्रा भी की थी
हालांकि ज्यादातर विदेश यात्राएं किम अपनी ट्रेन से ही करते हैं, लेकिन साल 2018 में सिंगापुर जाने के लिए उन्होंने हवाई यात्रा की थी। तब चीन ने उनके लिए बोइंग 787 विमान भेजा था।
ट्रेन की खासियतें
- किम की हरी रंग की बुलेटप्रूफ ट्रेन को चलते-फिरते किले जैसा कहा जाता है।
- इसमें 20 से ज्यादा डिब्बे हैं।
- ट्रेन की स्पीड केवल 45 किमी/घंटा होती है।
- चीन में घुसने के बाद इसकी रफ्तार बढ़कर 80 किमी/घंटा हो जाती है।
- प्योंगयांग से बीजिंग तक पहुंचने में इसे 20 घंटे का वक्त लगता है।
ट्रेन की बनावट भी खास है:
- सबसे आगे – सुरक्षा जांच वाले डिब्बे
- बीच में – किम जोंग उन का कोच और कॉन्फ्रेंस रूम
- पीछे – सामान और स्टाफ के डिब्बे
- ट्रेन में आधुनिक संचार प्रणाली, लग्ज़री कमरे और मीटिंग हॉल मौजूद हैं।
ट्रेन में क्या-क्या होता है
मिली जानकारी के अनुसार इस ट्रेन में एक किम जोंग उन के लिए एक शानदार शयनकक्ष होता है। साथ ही अन्य डिब्बों में सुरक्षा गार्ड और चिकित्सा कर्मचारी होते हैं। इनमें आमतौर पर किम के कार्यालय, संचार उपकरण, एक रेस्तरां और दो बख्तरबंद मर्सिडीज कार के लिए भी जगह होती है। वहीं, सुरक्षा के मद्देनजर पूरी तरह से ट्रेन मजबूत है।

प्योंगयांग से बीजिंग तक का रास्ता
किम की ट्रेन का पूरा सफर इस तरह होता है:
- प्योंगयांग रेलवे स्टेशन से शुरुआत।
- प्योंगुई रेलवे लाइन पर चलते हुए सीमा शहर सिनुइजु पहुंचती है।
- वहां से ट्रेन यालू नदी पार करके मैत्री पुल से चीन में प्रवेश करती है।
- चीन के डांडोंग शहर से होते हुए यह लियाओनिंग प्रांत में जाती है।
- आगे ट्रेन शेनयांग और मांचुरिया की पहाड़ियों को पार करती है।
- अंत में कई पुलों और सुरंगों से गुजरते हुए बीजिंग पहुंचती है।
इस पूरे सफर में ट्रेन को 177 रेल पुल और 5 सुरंगें पार करनी पड़ती हैं।
चीन जाने की वजह
किम जोंग उन चीन इतने लंबे सफर के बाद क्यों पहुंचे?
चीन, उत्तर कोरिया का सबसे बड़ा मित्र और मददगार है। अमेरिका और दूसरे देशों के प्रतिबंधों के बावजूद चीन हमेशा उसे आर्थिक सहारा देता रहा है। हाल ही में किम रूस के भी नजदीक आए हैं और पुतिन से कई बार मुलाकात कर चुके हैं। अब बीजिंग की इस परेड में किम जोंग उन, शी जिनपिंग और पुतिन तीनों साथ नजर आएंगे। यह तस्वीर दुनिया को दिखाएगी कि ये तीनों नेता आपस में कितने करीबी सहयोगी बन गए हैं।