Air Pollution :भारत में वायु प्रदूषण बहुत बड़ा संकट बन चुका है। इसकी वजह से लाखों लोग तरह-तरह की बीमारियों से जूझ रहे हैं। डॉक्टरों और विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हम प्रदूषण को कम करने के लिए सही कदम उठाएं, तो कई लोगों की ज़िंदगी बचाई जा सकती है और उनके जीवन में स्वस्थ साल जोड़े जा सकते हैं।
फाइन पार्टिकुलेट प्रदूषण कम करने की जरूरत
डॉ. राकेश के. चावला का कहना है कि अगर हम हवा में मौजूद बारीक कणों (फाइन पार्टिकुलेट मैटर) को आधा कर दें और अस्थमा, टीबी और सीओपीडी जैसी बीमारियों का इलाज गाइडलाइन के अनुसार करें, तो हर साल लाखों लोगों को अस्पताल में भर्ती होने से बचाया जा सकता है। यह सिर्फ मरीजों की भलाई नहीं है, बल्कि पूरी पीढ़ी को स्वस्थ रखने का सवाल है।
रसोई का धुआं और महिलाओं की सेहत
डॉ. चावला के अनुसार, रसोई से निकलने वाला धुआं, बायोमास ईंधन (लकड़ी, गोबर, कोयला आदि), और पैसिव स्मोकिंग (दूसरे के धुएं का असर) भी महिलाओं में फेफड़ों के कैंसर के मामलों को बढ़ा रहे हैं।
भारत में टीबी और निमोनिया के आंकड़े
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत में 2022 में हर 1 लाख लोगों पर लगभग 199 नए टीबी के मामले दर्ज हुए। इसके अलावा, पांच साल से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया मौत का बड़ा कारण है। दुनिया भर में इस उम्र के बच्चों की कुल मौतों में करीब 14% मौतें निमोनिया की वजह से होती हैं।
जीवन से 1000 दिन कम
सम्मेलन में यह भी बताया गया कि जहरीली हवा भारतीयों की औसत उम्र से लगभग 1,000 दिन (करीब तीन साल) कम कर रही है। “स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2020” रिपोर्ट के अनुसार, प्रदूषण की वजह से भारत में लोगों की औसत उम्र 1.5 से 2 साल तक घट रही है। यह आंकड़े बेहद चौंकाने वाले और चेतावनी देने वाले हैं।
युवाओं की सेहत पर खतरा
- विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि अब प्रदूषण का असर सबसे ज्यादा युवाओं पर पड़ रहा है।
- खराब हवा में दौड़ना
- रोजाना ट्रैफिक जाम में घंटों फंसे रहना
- प्रदूषित कक्षाओं और जगहों में समय बिताना
- ये सभी कारण युवाओं के फेफड़ों को धीरे-धीरे कमजोर कर रहे हैं।
फेफड़ों का कैंसर और अन्य बीमारियां
हर साल करीब 81,700 नए मामले फेफड़ों के कैंसर के सामने आ रहे हैं। पहले यह बीमारी ज्यादातर बुजुर्गों में देखी जाती थी, लेकिन अब यह युवाओं में भी तेजी से फैल रही है। इसके अलावा अस्थमा, सीओपीडी और टीबी जैसी गंभीर बीमारियां भी युवाओं को अपनी चपेट में ले रही हैं।