AAP in Punjab: दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की हार के बाद एक बार फिर से पार्टी के भविष्य को लेकर तमाम सवाल उठने लगे हैं. आम आदमी पार्टी अपने सबसे बड़े गढ़ में सिर्फ 22 सीटों पर सिमट कर रह गई है. अरविंद केजरीवाल समेत पार्टी के कई बड़े चेहरे अपनी सीटों से चुनाव हार चुके हैं. दिल्ली हाथ से जाने के बाद पंजाब में भी पार्टी टूटने का खतरा बताया जा रहा है. पार्टी के भविष्य को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है. गुरुवार (13 फरवरी, 2025) को चुनावी विश्लेषक योगेंद्र यादव ने कई बड़े खुलासे किए.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे योगेंद्र यादव ने कहा है कि दिल्ली में भी जीते विधायक टूट न जाए इसकी गारंटी नहीं है. इतना ही नहीं उन्होंने पंजाब में आम आदमी पार्टी की हार की आशंका जताते हुए कहा कि ऐसे में पार्टी बचेगी ही नहीं, लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि पार्टी के 40 फीसदी से ज्यादा वोट हैं और 22 सीटें हैं. ऐसे में पार्टी खत्म नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि 10 साल राज करने के बाद चुनाव हार जाने से पार्टी टूट जाए, ये जरूरी नहीं.
‘पंजाब में हार सकती है AAP’
योगेंद्र यादव का कहना है कि AAP की गुजरात में कोई राह नहीं है, हरियाणा में भी कुछ नहीं हुआ. अब ले दे के पंजाब बचा है. अगर पार्टी पंजाब में हार जाती है, जिसकी संभावना है… उन्होंने कहा कि वह कोई भविष्यवाणी नहीं कर रहे हैं, लेकिन पार्टी हार सकती है और इसमें कोई संदेह नहीं है. अगर आम आदमी पार्टी पंजाब में हार जाती है तो कैसे बचेगी और कहां बचेगी यह बहुत बड़ा सवाल है.
‘पंजाब से अच्छी खबर नहीं है’
योगेंद्र यादव ने कहा इंडिया गठबंधन में अरविंद केजरीवाल जरूर थे, लेकिन वह कुछ बोलते नहीं थे. केजरीवाल में पंजाब में अकेले चुनाव लड़ा. उन्होंने केजरीवाल की यमुना में जहर को लेकर दिए गए बयान की भी खूब निंदा की और कहा कि भविष्य की चुनौती बहुत सिंपल है पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार सत्ता में है, लेकिन कहीं और विस्तार की संभावना लगभग खत्म हो चुकी है. पंजाब से अच्छी खबर नहीं है. वहां पर गवर्नेंस अच्छा नहीं है. पंजाब का वोटर इतना धीरज नहीं रखता जितना यूपी का रखता है. पंजाब के वोटर साफ कर देंगे की काम नहीं किया तो आगे चलो.
क्या होगा पंजाब के अस्तित्व?
वहीं AAP के अस्तित्व को लेकर योगेंद्र यादव ने कहा कि पार्टी के 20-25 विधायक है. इनको तोड़ने की कोशिश की जाए तो हैरानी की बात नहीं होगी. पार्टी में केवल वैचारिक रूप से बंधे लोग ही रुकेंगे, लेकिन ऐसे लोग अब बचे भी नहीं हैं. उन्होंने कहा अस्तित्व का संकट है. AAP के पास सबसे बड़ी चुनौती पंजाब में कुर्सी बचाने की है.
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