IEW 2025: इंडिया एनर्जी वीक में प्रमुख वैश्विक ऑयल और गैस कंपनियों ने भारत को अपने ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) के लिए एक प्रमुख गंतव्य के रूप में मान्यता दी है. जानकारी के मुताबिक, एनर्जी वीक में हुई चर्चाओं से उन्होंने यह माना कि भारत केवल एक लागत प्रभावी बैक-ऑफिस स्थान से एक रणनीतिक नवाचार और अनुसंधान एवं विकास (R&D) केंद्र में बदल गया है. यह विचार इंडिया एनर्जी वीक 2025 के तीसरे दिन भारत के ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स, ऑयल एंड गैस R&D के विकास का लाभ नामक सत्र में सामने आए.
तीसरे दिन हुए सेशन में ExxonMobil, Shell, Chevron, bp और SLB के उद्योग नेताओं ने अपने अनुभव साझा किए. ExxonMobil इंडिया के सीईओ मोंटे डॉबसन ने बड़े पैमाने पर टैलेंट को भारत की सबसे बड़ी ताकत बताया, जबकि Shell के VP ऑफ इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी, अजय मेहता ने कहा कि अब वेतन अंतर (वेज आर्बिट्रेज) उनकी भारतीय संचालन में सबसे कम महत्वपूर्ण कारक है.
बेंगलुरु स्थित GCCs 35 वैश्विक परिसंपत्तियों को दे रहे सेवा
Shell के चेन्नई और बेंगलुरु में स्थित GCCs वर्तमान में 35 वैश्विक परिसंपत्तियों को सेवा प्रदान कर रहे हैं, जो अत्याधुनिक इंजीनियरिंग और डिजिटल टेक्नोलॉजी समाधानों पर केंद्रित हैं. सत्र में कंपनी की तरफ से साझा की गई जानकारी के मुताबिक bp ग्रुप की तेजी से बढ़ती वृद्धि को देखा जा सकता है, जो 2021 से अब तक 4,000 से अधिक कर्मचारियों तक पहुंच गया है. bp ग्रुप में GBS इंडिया की वाइस प्रेसिडेंट, वर्षा सिंह ने बताया कि उनका केंद्र विशेष रूप से डिजिटल ट्विन्स और एडवांस एनालिटिक्स समाधानों के विकास में वैश्विक संचालन का केंद्र बन गया है.
भारत में कंपनियों का विस्तार
इंडिया एनर्जी वीक के तीसरे दिन इस सेशन के दौरान कई ऐसी कंपनियां भी चर्चा में शामिल थी, जो भारत में लगातार अपनी ग्रोथ और एक्सपेंशन पर काम कर रही है. उनमें से एक एसएलबी है. SLB, जो 2006 में भारत में आया था, ने अपने पांच केंद्रों में 5,000 कर्मचारियों के साथ सफलतापूर्वक विस्तार किया है, जिससे भारत के GCC इकोसिस्टम में स्थायी वृद्धि की संभावनाओं को दर्शाया गया है, SLB के इंडिया रीजन के मैनेजिंग डायरेक्टर, ललित अग्रवाल ने कहा.
क्या बोले इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के डायरेक्टर
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के R&D डायरेक्टर, डॉ. आलोक शर्मा ने बताया कि कंपनी बायोफ्यूल्स, फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी और सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल में नवीन समाधान विकसित करके भारत के ऊर्जा परिवर्तन लक्ष्यों को आगे बढ़ा रही है. उद्योग नेताओं ने सामूहिक रूप से ऊर्जा उपकरण क्षेत्र के 2030 तक वैश्विक स्तर पर 200 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना जताई, जो भारत के लिए अपने विस्तारशील GCC क्षमताओं के माध्यम से बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने के महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है.
सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर चर्चा हुई
इंडिया एनर्जी वीक 2025 में तीसरे दिन भारत के परिवर्तनकारी सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (CGD) मॉडल को मजबूत और सुरक्षित गैस-आधारित अर्थव्यवस्था के लाभ देने के लिए अनुकूलित विषय पर पैनल चर्चा में भारत के सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (CGD) क्षेत्र के हितधारक एक साथ बैठे. इस चर्चा में CGD नेटवर्क के विस्तार और अनुकूलन के लिए रणनीतियों का पता लगाना था. एक्सपर्ट्स ने CGD क्षेत्र में दक्षता और दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा देने के लिए नीति समन्वय, डिजिटल समाधानों में निवेश और नवाचारी वित्तीय मॉडलों की आवश्यकता पर बल दिया.
कई एक्सपर्ट्स शामिल हुए
इस चर्चा में कई प्रमुख उद्योग एक्सपर्ट्स शामिल हुए, जिनमें गौतम चक्रवर्ती (सीईओ, गेल गैस लिमिटेड), राजेश मेदिरत्ता (एमडी और सीईओ, इंडियन गैस एक्सचेंज लिमिटेड), कमल किशोर चटवाल (एमडी, इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड), अखिल मेहरोत्रा (एमडी, पाइपलाइन इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड), और एन. सेंथिल कुमार (डायरेक्टर-पाइपलाइन्स, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन) शामिल थे.
5 से 6 सालों में 10 फीसदी की वृद्धि देखी गई
गौतम चक्रवर्ती ने बताया कि धीमी शुरुआत के बावजूद, पिछले पांच से छह वर्षों में क्षेत्र में 10% की वृद्धि देखी गई है. उन्होंने इसकी धीमी गति का कारण लंबी परियोजना अवधि और इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों द्वारा प्राथमिकता की कमी को बताया. हालांकि, बढ़ते विदेशी निवेश, विलय और अधिग्रहण भविष्य में विस्तार के लिए सकारात्मक संकेत दे रहे हैं.
10 सालों में गैस स्टेशनों की संख्या 66 से बढ़कर 307 हुई
कमल किशोर चटवाल ने इस विचार का समर्थन करते हुए बताया कि पिछले दशक में गैस स्टेशनों की संख्या 66 से बढ़कर 307 हो गई है, जो CGD क्षेत्र के एक पूर्ण उद्योग के रूप में विकास को दर्शाता है. एन. सेंथिल कुमार ने कहा कि भले ही हाइड्रोजन और EV अपनाने के चरण शुरुआती हैं, शहरीकरण पाइप्ड नेचुरल गैस (PNG) की वृद्धि को बढ़ावा दे रहा है, जो CGD की प्रासंगिकता को और मजबूती देता है. उन्होंने आपूर्ति सुरक्षा की चिंता को भी उजागर किया और यह सुझाव दिया कि स्थिर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भंडारण क्षमता को दोगुना करने और गैस ग्रिड को मजबूत करने की आवश्यकता है. सौरभ सिंह ने कहा कि CGD क्षेत्र, जो गैस का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है, आपूर्ति और मांग के अंतर को पाटकर गैस ऊर्जा का सबसे बड़ा उपभोक्ता बनने की स्थिति में है.
CNG प्लांट इंस्टॉलेशन जमीन की कमी बाधा डाल रही
अखिल मेहरोत्रा ने बुनियादी ढांचे की गंभीर चुनौतियों पर प्रकाश डाला, खासकर पाइपलाइन बिछाने में बाधाओं का सामना, जिसका मुख्य कारण नगरपालिका स्वीकृतियों की कमी और राज्य और केंद्र सरकारों के बीच समन्वय की कमी है. एक्सपर्ट्स की दी गई जानकारी और चर्चा के मुताबिक, CNG प्लांट इंस्टॉलेशन के लिए भूमि की अनुपलब्धता भी प्रगति में बाधा डाल रही है, जिसमें दिल्ली एकमात्र ऐसा शहर है जहां बड़े पैमाने पर इन्फ्रास्ट्रक्चर सफलतापूर्वक लागू किया गया है.
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