Jagannath Rath Yatra 2025 : पुरी (ओडिशा) में भगवान जगन्नाथ की पवित्र रथ यात्रा आज से शुरू हो गई है। इस खास मौके पर लाखों भक्त पुरी पहुंचते हैं ताकि भगवान की झलक पा सकें और इस ऐतिहासिक यात्रा में शामिल हो सकें। आइये इसे जानते हैं विस्तार से…
कहाँ जाते हैं भगवान इस यात्रा में?
रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपने मौसी के घर यानी गुंडिचा मंदिर जाते हैं। यह एक परंपरागत और पवित्र यात्रा है जो हर साल होती है।
यात्रा कब से कब तक चलेगी?
- शुरुआत: 27 जून, शुक्रवार
- समापन: 8 जुलाई को “नीलाद्रि विजय” के साथ होगा, जब भगवान वापस अपने मंदिर लौटते हैं।
आज का पूरा कार्यक्रम
- सुबह 6 बजे: मंगला आरती हुई।
- 9:30 बजे: भगवान को रथ पर बिठाने की विधियां शुरू हुईं।
- 1 बजे दोपहर: भगवान को रथ पर विराजमान कराया गया।
- 3 बजे दोपहर: पुरी के राजपरिवार के गजपति राजा ने सोने की झाडू से मार्ग की सफाई की और यात्रा की शुरुआत की।
- इसके बाद भगवान रथ पर सवार होकर बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ गुंडिचा मंदिर के लिए रवाना हुए।
सोने की झाडू से क्यों होती है सफाई?
पुरी की रथ यात्रा शुरू होने से पहले एक खास परंपरा निभाई जाती है — रथ के आगे सोने की झाडू से सफाई की जाती है।
राजा करते थे सफाई: पुराने समय में पुरी के राजा खुद सोने की झाडू से रथ के मार्ग की सफाई करते थे। आज उनके वंशज यह परंपरा निभाते हैं।
धार्मिक मान्यता: सोना बहुत पवित्र धातु मानी जाती है और इसे देवी-देवताओं की पूजा में इस्तेमाल किया जाता है।
शुभ संकेत: सोने को वैभव (समृद्धि), सुख और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। रथ यात्रा की शुरुआत सोने की झाडू से करने से यात्रा शुभ और सफल मानी जाती है।
क्या है रथ यात्रा का महत्व?
यह यात्रा ना सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भी बहुत खास मानी जाती है। इसमें लाखों भक्त पूरे श्रद्धा से भाग लेते हैं और भगवान जगन्नाथ के दर्शन पाकर खुद को धन्य मानते हैं।