Nepal Protest: नेपाल में सोशल मीडिया ऐप्स पर बैन लगाए जाने के बाद भारी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। इन प्रदर्शनों में हिंसा इतनी बढ़ गई कि अब तक 21 लोगों की मौत हो चुकी है। हालात बिगड़ते देख सरकार ने सोमवार देर रात कैबिनेट की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई और फिर सोशल मीडिया बैन को वापस लेने का ऐलान किया। साथ ही सरकार ने युवाओं से अपील की कि वे प्रदर्शन बंद कर दें।
लेकिन प्रदर्शनकारी युवाओं ने साफ कर दिया है कि उनका आंदोलन सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं है। उनका कहना है कि असली मुद्दा भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और आर्थिक संकट है। इसलिए मंगलवार से वे और भी तेज प्रदर्शन करेंगे।
संसद भवन के बाहर बवाल के निशान
मंगलवार सुबह काठमांडू में संसद भवन के बाहर धीरे-धीरे भीड़ जुटनी शुरू हो गई। वहां चारों तरफ तोड़फोड़, आगजनी और पत्थरबाजी के निशान साफ दिखाई दे रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। लोग “केपी चोर… देश छोड़” जैसे नारे लगा रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि ओली इस्तीफ़ा दें और दोबारा चुनाव कराए जाएँ।
युवाओं का गुस्सा: “हमारी लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ”
एक प्रदर्शनकारी ने सोमवार रात को कहा, “हम सुबह 9 बजे से विरोध कर रहे हैं। भ्रष्टाचार बहुत बढ़ गया है। यही हमारी सबसे बड़ी लड़ाई है। हम घायल साथियों के इलाज में मदद कर रहे हैं और मंगलवार से आंदोलन और तेज होगा।”
दूसरे प्रदर्शनकारी ने कहा, “नेताओं और हमारी जिंदगी में बहुत फर्क है। देश का पैसा सही जगह नहीं जाता। बड़े नेता और उनके परिवार भ्रष्टाचार में डूबे हैं। छात्र केवल भ्रष्टाचार रोकने की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार हमें गोलियां मार रही है। पुलिस सिर और छाती पर गोली चला रही है, जो बेहद गलत है।”
खून दान करके युवाओं का समर्थन
काठमांडू में एक युवक ने कहा कि उसने टीवी पर देखा कि कई लोग गोली लगने से घायल हुए हैं। इसलिए वह ब्लड डोनेट करने चला आया। उसने कहा कि यह आंदोलन सिर्फ सोशल मीडिया के लिए नहीं है, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ है।
सरकार पर वादाखिलाफी के आरोप
युवाओं का कहना है कि प्रधानमंत्री ओली ने करप्शन खत्म करने का वादा किया था, लेकिन कुछ नहीं बदला। देश में बेरोजगारी, महंगाई और आर्थिक मंदी ने युवाओं का गुस्सा और बढ़ा दिया है। सोशल मीडिया पर युवाओं ने #NepoKid ट्रेंड भी चलाया। उनका आरोप है कि नेताओं के बच्चे भ्रष्टाचार की कमाई से शान-शौकत की जिंदगी जी रहे हैं, जबकि आम युवा बेरोजगारी से जूझ रहे हैं।