Premanand Ji Maharaj Vachan: प्रेमानंद जी महाराज एक महान संत और विचारक हैं जो जीवन का सच्चा अर्थ समझाते और बताते हैं. प्रेमानंद जी के अनमोल विचार जीवन को सुधारने और संतुलन बनाएं रखने में मार्गदर्शन करते हैं.
प्रेमानंद जी महाराज से जानते हैं कि आखिर गुरु सेवा कैसे करें, प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि गुरु की आज्ञा का पालन की सबसे बड़ी सेवा है. गुरु जी की सेवा चरण दबा दो, कपड़े धो दो, भिक्षा ले आओ, यह कार्य सभी भक्त करते हैं इसे अंग सेवा कहा जाता है. महाराज जी का मानना है कि अपने मालिक की सबसे बड़ी सेवा है उनकी आज्ञा का पालन करना. जो महाराज ने कह दिया वो आपके लिए पत्थर की लकीर है. गुरु की आज्ञा ही सबसे बड़ी आज्ञा है.
जो मनुष्य गुरु की आज्ञा पर चलें वो असली सेवा है, उनके वचनों पर ध्यान दें और उनका ही पालन करें. भक्त को गुरु के इशारे पर चलना चाहिए. मनुष्य को अपने मन की रुचि के अनुकूल नहीं चलना चाहिए बल्कि गुरु के अनुसार मन को स्थापित करना चाहिए. गुरु की रुचि के अनुकूल चलना ही सबसे बड़ी सेवा है.
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि- ‘गुरु पद पंकज सेवा तीसरि भगति अमान’ अपने गुरु की सेवा का मान रखना ही सबसे बड़ी सेवा है. सेवा का मतलब है गुरुदेव की रुचि क्या है, गुरुदेव क्या चाह रहे हैं इसको जानने की कोशिश करें. हमेशा उस कार्य को करना जिससे वो प्रसन्न हों.साथ ही गुरु की आज्ञा का पालन करना. गुरुदेव की आज्ञा ही उनको प्रिय हैं. प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि अगर गुरुदेव के रुप में कभी हरि आ जाएं और अगर आप उनकी आज्ञा का पालन नहीं करेंहे तो भागवत की प्राप्ति नहीं होगी.
Premanand Ji Maharaj: भक्त कैसे बनता है श्रद्धावान, जानें प्रेमानंद महाराज की इस अनमोल कथा से
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