PUNJAB DESK : पंजाब और हरियाणा के बीच लंबे समय से पानी को लेकर विवाद चल रहा है। इस मामले में पंजाब सरकार को बड़ा झटका लगा है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उसने छह मई के कोर्ट आदेश को रद्द करने या उसमें बदलाव करने की मांग की थी। इस आदेश में कोर्ट ने पंजाब को निर्देश दिया था कि वह हरियाणा को 4,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़े।
क्या है पूरा मामला
2 मई 2024 को केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी। इस बैठक में यह तय हुआ था कि पंजाब हरियाणा को आपातकालीन स्थिति को देखते हुए 4,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी देगा।
इसके बाद हाईकोर्ट ने 6 मई को अपने आदेश में कहा था कि पंजाब को इस फैसले का पालन करना होगा। पंजाब सरकार ने इस आदेश को चुनौती दी और इसे बदलवाने की कोशिश की, लेकिन अब कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी है।
पंजाब ने क्या कहा?
पंजाब सरकार का कहना था कि केंद्र सरकार, हरियाणा और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) ने कुछ अहम बातें कोर्ट से छिपाईं। पंजाब ने यह भी कहा कि हरियाणा द्वारा 29 अप्रैल को भेजे गए एक पत्र को अदालत में पेश नहीं किया गया, जो मामले को समझने के लिए जरूरी था।
पंजाब ने यह तर्क भी दिया कि यह विवाद दो राज्यों के बीच है, और ऐसे मामलों में ‘अंतर-राज्यीय जल विवाद अधिनियम, 1956’ के तहत अलग प्रक्रिया होती है, न कि हाईकोर्ट के आदेश से।
कोर्ट ने क्या जवाब दिया?
कोर्ट ने पंजाब के सभी तर्क खारिज कर दिए। मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति सुमीत गोयल की खंडपीठ ने कहा कि 29 अप्रैल के पत्र का जिक्र सिर्फ तकनीकी समिति की बैठक के प्रस्तावों के पालन से जुड़ा था, न कि किसी जल विवाद के औपचारिक समाधान से। कोर्ट का आदेश आपातकालीन स्थिति को देखते हुए दिया गया था ताकि लाखों लोगों को पानी मिल सके।
अगर पंजाब को आदेश से कोई आपत्ति थी, तो उसे पहले से यह स्वतंत्रता दी गई थी कि वह केंद्र सरकार के पास ‘नियम 7’ के तहत इस मुद्दे को औपचारिक रूप से भेज सकता है।
हरियाणा की पानी की जरूरत पर पंजाब की दलील भी खारिज
पंजाब ने यह भी कहा कि हरियाणा की वेस्टर्न यमुना नहर की मरम्मत पूरी हो गई है, इसलिए अब उसे अतिरिक्त पानी की जरूरत नहीं है। लेकिन अदालत ने इसे भी तवज्जो नहीं दी और कहा कि यह आदेश एक इमरजेंसी स्थिति में दिया गया था, जिसमें तत्काल कदम उठाना जरूरी था।
अब पंजाब के अधिकारी मुश्किल में…
हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर अब पंजाब के मुख्य सचिव और डीजीपी पर अदालत की अवमानना (Contempt of Court) की तलवार लटक रही है। क्योंकि अदालत ने साफ कहा था कि हरियाणा को तय मात्रा में पानी देना होगा, लेकिन इसका पालन नहीं किया गया।राएगी अपने एग्स फ्रीज, जानें ये क्या होता