Modi Trump Meeting: देश के कई पूर्व भारतीय राजनयिकों ने एक सुर में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल में संपन्न अमेरिका यात्रा बहुत सफल रही जो दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करेगी. इन राजनयिकों ने 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पित करने के वाशिंगटन के कदम का स्वागत किया.
पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच 13 फरवरी को व्यापक वार्ता हुई. अमेरिका की अपनी यात्रा के समापन के बाद मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के साथ उनकी बैठक शानदार रही और उनके साथ वार्ता भारत-अमेरिका के बीच मित्रता को महत्वपूर्ण गति प्रदान करेगी.
‘सैन्य आपूर्ति बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम’
विदेश नीति के विशेषज्ञों, थिंक टैंक और कई पूर्व राजनयिकों ने इस यात्रा पर बारीकी से नजर रखी. ट्रंप के 20 जनवरी को राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण के तीन सप्ताह बाद दोनों नेताओं में यह वार्ता हुई. वर्ष 2017 से 2020 तक नीदरलैंड में भारत के राजदूत के रूप में कार्य करने वाले वेणु राजमणि ने इस यात्रा को किसी भी मानक के लिहाज से एक बड़ी सफलता करार दिया. उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त बयान बहुत प्रभावशाली है… इसमें भविष्य पर केंद्रित साझेदारी पर जोर दिया गया है.’’
भारत और अमेरिका ने कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपने रणनीतिक संबंधों को व्यापक बनाने की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाने का फैसला किया है, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ वार्ता के बाद घोषणा की कि वाशिंगटन अरबों डॉलर की सैन्य आपूर्ति बढ़ाने के हिस्से के रूप में नई दिल्ली को एफ-35 लड़ाकू विमान प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त कर रहा है.
रूस की शर्तों पर खत्म होगा यूक्रेन से युद्ध
दोनों नेताओं ने आईएनडीयूएस (इंडस) इनोवेशन ब्रिज का भी शुभारंभ किया, जिसे रक्षा अनुप्रयोगों के लिए सफल इंडस-एक्स मंच के आधार पर तैयार किया गया है. इंडस नवोन्मेष का उद्देश्य अंतरिक्ष, ऊर्जा और अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करना है रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के साथ ट्रंप की बातचीत पर, राजमणि ने दावा किया कि ‘‘युद्ध का अंत निकट है, लेकिन यह रूस की शर्तों पर खत्म होगा.’’
व्हाइट हाउस द्वारा जारी संयुक्त बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने सहयोग के प्रमुख स्तंभों में परिवर्तनकारी बदलाव लाने के लिए एक नई पहल – 21वीं सदी के लिए अमेरिका-भारत कॉम्पैक्ट की शुरुआत की है. कॉम्पैक्ट (सीओएमपीएसीटी) से आशय सैन्य साझेदारी, त्वरित वाणिज्य और प्रौद्योगिकी के लिए अवसरों के सृजन से है.
इसमें कहा गया है, ‘‘उन्होंने भारत की रक्षा आवश्यकताओं को तेजी से पूरा करने के लिए भारत में जैवलिन टैंक रोधी गाइडेड मिसाइल और हमलावर पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों के लिए इस साल नई खरीद और सह-उत्पादन व्यवस्था को आगे बढ़ाने की योजना की घोषणा की.’’
‘द्विपक्षीय व्यापार होगा दोगुना’
राजमणि ने कहा, ‘‘हमारे संबंधों में रक्षा का प्रमुख स्थान है और यह खरीद से कहीं अधिक है. प्रौद्योगिकी सहयोग महत्वपूर्ण है.’’ उन्होंने कहा कि स्वायत्त प्रणाली उद्योग गठबंधन (एएसआईए) शुरू किया गया है. कई अन्य राजनयिकों ने भी मोदी की यात्रा के दौरान घोषित मिशन 500 को रेखांकित किया जिसका लक्ष्य 2030 तक कुल द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना से अधिक करके 500 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाना है. पूर्व भारतीय राजदूत ने कहा कि यह एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है और केवल निजी क्षेत्र ही इसे पूरा कर सकते हैं और यह सरकार का काम नहीं है कि वह तय करे कि व्यापार कैसे चलेगा.
राणा के प्रत्यर्पण के फैसले पर पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव ने कहा कि यह आतंकवाद से लड़ने और ऐसे जघन्य कृत्यों के लिए जिम्मेदार लोगों को पकड़ने के लिए दो लोकतंत्रों के साझा संकल्प का स्पष्ट संदेश देता है, जिसके लिए हम उन्हें जवाबदेह और जिम्मेदार ठहराना चाहते हैं.
‘आतंकवाद मुद्दे पर भारत-अमेरिका एक’
उन्होंने कहा, ‘‘यह अमेरिका और भारत के बीच विशेष रूप से रक्षा और आतंकवाद-रोधी क्षेत्रों में गहरी होती रणनीतिक साझेदारी के अनुरूप है. यह निर्णय निश्चित रूप से आपसी विश्वास को मजबूत करता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘जाहिर है कि यह फैसला सही है.’’ भारत के पूर्व राजदूत अशोक सज्जनहार ने कहा कि उन्हें खुशी है कि अमेरिका ने तहव्वुर राणा को वापस भेजने के महत्व को पहचाना है ताकि वह न्याय का सामना कर सके.
भारत और अमेरिका आतंकवाद पर अंकुश लगाने के क्षेत्रों में सक्रिय रूप से सहयोग कर रहे हैं और वाशिंगटन में संयुक्त प्रेस वार्ता में भी इस पर जोर दिया गया. राष्ट्रपति ट्रंप के जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा करने पर, पूर्व राजनयिक ने कहा कि यह प्रधानमंत्रमोदी की यात्रा से ‘संबंधित’ नहीं है. सज्जनहार ने कहा, ‘‘यह केवल संयोग था कि ‘जवाबी शुल्कों’ की घोषणा तब की गई जब प्रधानमंत्री मोदी वहां थे.’’