10 मजदूरों के शव गुजरात से एमपी रवाना:पटाखा फैक्ट्री में धमाके से हरदा-देवास के 21 लोगों की मौत; चार दिन पहले ही गए थे

by Admin

गुजरात में एक पटाखा फैक्ट्री का बॉयलर फटने से मृत 21 मजदूरों के शव आज मध्यप्रदेश लाए जाएंगे। धमाका इतना भीषण था कि कई मजदूरों के अंग 50 मीटर दूर तक बिखर गए। फैक्ट्री के पीछे खेत में भी कुछ मानव अंग मिले हैं। 3 मजदूरों की हालत गंभीर है, 5 मामूली रूप से घायल हैं। हादसा मंगलवार सुबह 8 बजे बनासकांठा के नजदीक डीसा में हुआ। सभी मजदूर हरदा और देवास जिले के रहने वाले थे। शव लेने पुलिस-प्रशासन टीम के साथ मंत्री नागर सिंह भी गुजरात गए हैं। बुधवार सुबह उन्होंने बताया कि देवास के 10 मजदूरों के शव उनके पैतृक गांव के लिए रवाना किए जा चुके हैं। बाकी शव भी पोस्टमॉर्टम के बाद भेजे जाएंगे। घायल बोला- धमाका हुआ और बेहोश हो गए
दैनिक भास्कर की टीम ने पालनपुर के बनास मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए भेजे गए मजदूर विजय से बात की। विजय ने कहा, ‘हम फैक्ट्री के अंदर काम कर रहे थे। तभी अचानक ब्लास्ट हुआ और मैं बेहोश हो गया। जब आंखें खोलीं तो मेरे चारों ओर आग थी। झुलसी हालत में ही किसी तरह फैक्ट्री से बाहर भागा।’ हादसे में बेटे-बहू, पोती को खोया
‘मैं कमाने के लिए गुजरात ‎जा रहा हूं, एक महीने में लौट आऊंगा, परिवार में ‎सबका ध्यान रखना।’ गुजरात जाने से पहले संदलपुर के रहने वाले राकेश ने अपनी मां शांताबाई से आखिरी बार यह बात कही थी। इसके चार दिन बाद ‎उसकी मौत की खबर मिली। शांताबाई ‎बेटे, पोती किरण और बहू डाली को याद करते हुए फफक ‎पड़ी। संदलपुर की लालखेड़ी मोहल्ला भोपा कॉलोनी‎ में भोपा समाज के करीब 15-20 घर हैं। सात-आठ‎ महीने पहले तक ये लोग वाहन से घूमकर कुकर और‎ गैस सुधारने का काम करते थे। पहली बार गुजरात गए‎ और हादसे का शिकार हो गए।‎ खत्म हो गया लखन का परिवार
‎प्यारेलाल भोपा ने बताया, लखन मेरे काका‎ गंगाराम का लड़का था। एक ही परिवार के छह लोग ‎थे। लखन, उसकी पत्नी सुनीताबाई, बहन राधा और रुकमा,‎ छोटा भाई अभिषेक, मां शायराबाई भी हादसे का‎ शिकार हो गए। गंगाराम के परिवार में कोई नहीं बचा। ‎वहीं, राकेश भोपा, उसकी पत्नी डाली बाई, बच्ची किरण (7) की‎ मौत हो गई। छोटी बेटी नैना (4) घायल है।‎ हाटपिपल्या की फैक्ट्री में चार दिन किया था काम‎
भगवान सिंह पिता भेरूलाल भोपा ने बताया कि लखन मेरा साला था। हंडिया की गुड्‌डीबाई और‎शायराबाई संदलपुर पैसों की तंगी की वजह से सभी को लेकर हाटपिपल्या की पटाखा फैक्ट्री में 24‎मार्च को काम करने गई थीं। 28 मार्च को शाम एक व्यक्ति ज्यादा पैसे का बोलकर गुजरात ले गया। मम्मी मैं काम करने गुजरात जा रहा हूं, एक‎माह में लौट आऊंगा, सबका ध्यान रखना‎ एमपी से मंत्री और अफसरों की टीम गुजरात पहुंची
गुजरात में पटाखा फैक्ट्री में हुए हादसे के बाद मध्यप्रदेश सरकार की ओर से अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री नागर सिंह चौहान बनासकांठा गए हैं। हरदा कलेक्टर आदित्य सिंह ने बताया कि मृतकों की शिनाख्त और घायलों की मदद के लिए अफसरों की टीम भी भेजी है। इसमें संयुक्त कलेक्टर संजीव नागू, उप पुलिस अधीक्षक अजाक सुनील लाटा, तहसीलदार टिमरनी डॉ. प्रमेश जैन, नायब तहसीलदार देवराम निहरता और रहटगांव के पुलिस उप निरीक्षक मानवेंद्र सिंह भदौरिया शामिल हैं। देवास से भी अफसरों का एक दल बनासकांठा गया है। मृतकों के परिजन को 2-2 लाख रुपए की सहायता
हादसे पर सीएम डॉ. मोहन यादव ने दुख जताया है। उन्होंने मृतकों के परिजन को 2-2 लाख और घायलों को 50-50 हजार रुपए आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। गुजरात सरकार ने भी मृतकों के परिजन को 4-4 लाख और घायलों को 50-50 हजार रुपए आर्थिक सहायता देने की बात कही है। हरदा विधायक डॉ. आरके दोगने ने मृतकों के परिवार को विधायक निधि से 20-20 हजार रुपए देने की घोषणा की है। वहीं, प्रधानमंत्री राहत कोष से मृतकों के परिजन को 2-2 लाख रुपए और घायलों को 50-50 हजार रुपए दिए जाएंगे। सिंघार का सवाल- रोजगार देने में मध्यप्रदेश सरकार अक्षम
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा- सवाल मध्यप्रदेश सरकार से है कि हर दिन रोजगार का गाना गाने वाली सरकार इतनी अक्षम हो चुकी है कि मजदूरों को पलायन की आवश्यकता पड़ रही है। उन्हें अपनी जान तक गंवानी पड़ रही है। इस मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। लापरवाही के दोषियों को चिह्नित करके उन्हें सजा मिले। पीड़ित परिवारों को मध्यप्रदेश सरकार समुचित मुआवजा दे और घायलों का बेहतर इलाज कराए। पटाखे बेचने का लाइसेंस था, बनाने का नहीं
गुजरात में दीपक ट्रेडर्स नाम की यह पटाखा फैक्ट्री खूबचंद सिंधी की है। वह इस फैक्ट्री में विस्फोटक लाकर पटाखा बनवाते थे। अब तक की जांच में पता चला है कि कंपनी मालिक के पास केवल पटाखे बेचने का लाइसेंस है, बनाने का नहीं। स्थानीय पुलिस आगे की जांच में जुटी है। मामले से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें… बेटे की तेरहवीं करनी थी, रुपए कमाने गए गुजरात: मां बोली-सब खत्म हो गया गीताबाई बोली- होली पर बेटे सत्यनारायण का निधन हो गया था। उसकी तेरहवीं के लिए रुपए नहीं थे। पोते समेत परिवार के 11 लोग काम करने गुजरात गए थे। वहां से लौटते तो बेटे की तेरहवीं करती, लेकिन उसके पहले ही पूरा परिवार खत्म हो गया। गीताबाई के परिवार के 11 लोग गुजरात के बनासकांठा के पास डीसा में मजदूरी करने गए थे। मंगलवार सुबह 8 बजे पटाखा फैक्ट्री में बॉयलर में विस्फोट में इन्होंने अपनी जान गवां दी। पढ़ें पूरी खबर

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