Naxal Encounter : झारखंड से सोमवार सुबह एक बड़ी खबर सामने आई है। हजारीबाग जिले के पंतित्री जंगल में सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच जोरदार मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने तीन कुख्यात माओवादियों को मार गिराया है। इनमें से एक माओवादी पर 1 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था।
सुबह 6 बजे शुरू हुई मुठभेड़
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह मुठभेड़ सोमवार सुबह करीब 6 बजे गोरहर थाना क्षेत्र के पंतित्री जंगल में हुई। सुरक्षाबलों को जानकारी मिली थी कि भाकपा (माओवादी) के सहदेव सोरेन का दस्ता इलाके में मौजूद है। सुरक्षाबलों ने तुरंत इलाके को घेर लिया और इसके बाद गोलीबारी शुरू हो गई।
मुठभेड़ के बाद इलाके की तलाशी
गोलीबारी रुकने के बाद जब इलाके की तलाशी ली गई तो सुरक्षाबलों को तीन माओवादियों के शव मिले। इनमें सहदेव सोरेन भी शामिल था, जो माओवादियों की केंद्रीय समिति का सदस्य था और उस पर 1 करोड़ रुपये का इनाम था।
मारे गए माओवादियों के नाम
सुरक्षाबलों ने जिन तीन माओवादियों को मार गिराया, उनके नाम और पहचान इस प्रकार है
- सहदेव सोरेन – केंद्रीय समिति सदस्य, 1 करोड़ रुपये का इनामी
- रघुनाथ हेम्ब्रम – विशेष क्षेत्र समिति सदस्य, 25 लाख रुपये का इनामी
- वीरसेन गंझू – क्षेत्रीय समिति सदस्य, 10 लाख रुपये का इनामी
भारी मात्रा में हथियार बरामद
मुठभेड़ के दौरान सुरक्षाबलों ने मौके से 3 एके-47 राइफलें और बड़ी मात्रा में गोली-बारूद भी बरामद किया है। अच्छी बात यह रही कि इस पूरे ऑपरेशन में किसी भी जवान को चोट नहीं आई। इलाके में अब भी तलाशी अभियान जारी है।
209 कोबरा बटालियन की बड़ी सफलता
यह पूरी कार्रवाई 209 कोबरा बटालियन और पुलिस के संयुक्त अभियान के तहत की गई। साल 2025 में 209 कोबरा के जवानों ने नक्सलवाद के खिलाफ बड़ी कामयाबी हासिल की है।
2025 की प्रमुख उपलब्धियां
- अब तक 20 कुख्यात नक्सलियों को मार गिराया गया है
- 2 केंद्रीय समिति सदस्य
- 2 बीजेएसएसी सदस्य
- 4 क्षेत्रीय समिति सदस्य
- 2 उप-क्षेत्रीय समिति सदस्य
- 3 क्षेत्र समिति सदस्य
- और कई अन्य कुख्यात नक्सली
- 3 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया (1 उप-क्षेत्रीय समिति सदस्य, 1 एसीएम और 1 कैडर)
- 32 अत्याधुनिक हथियार, 345 किलो विस्फोटक, 88 डेटोनेटर और 2500 से ज्यादा कारतूस बरामद किए
- 18 नक्सली ठिकाने और 39 बंकर ध्वस्त किए
नक्सलियों में फैली दहशत
सुरक्षाबलों की लगातार कार्रवाई से बाकी के माओवादियों में दहशत फैल गई है। इन अभियानों से नक्सलियों की संगठनात्मक और ऑपरेशनल क्षमता पर बड़ा असर पड़ा है और उनका नेटवर्क कमजोर हो रहा है।