Vishwakarma Puja 2025: विश्वकर्मा पूजा हर साल बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। यह दिन भगवान विश्वकर्मा की जयंती के रूप में मनाया जाता है। भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है। मान्यता है कि उन्हीं ने देवताओं के महल, दिव्य अस्त्र-शस्त्र और वाहन बनाए थे। इस दिन सभी लोग खासकर कारीगर, मजदूर, इंजीनियर, आर्किटेक्ट और फैक्ट्री में काम करने वाले लोग उनकी पूजा करते हैं।
विश्वकर्मा पूजा 2025 की तारीख और मुहूर्त
- तारीख: 17 सितंबर 2025 (बुधवार)
- कन्या संक्रांति का समय: सुबह 01:55 AM
- ब्रह्म मुहूर्त: 04:33 AM से 05:20 AM
- प्रातः संध्या: 04:57 AM से 06:07 AM
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02:18 PM से 03:07 PM
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:24 PM से 06:47 PM
- सायाह्न संध्या: शाम 06:24 PM से 07:34 PM
- अमृत काल: रात 12:06 AM (18 सितम्बर) से 01:43 AM (18 सितम्बर)
- निशिता मुहूर्त: रात 11:52 PM से 12:39 AM (18 सितम्बर)
इस दिन क्या करते हैं
- दुकानों, फैक्ट्रियों और दफ्तरों में भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित की जाती है।
- पूजा स्थल को फूलों से सजाया जाता है।
- मशीनों, औजारों, उपकरणों और वाहनों की पूजा की जाती है।
- लोग सुबह जल्दी स्नान करके घर और कार्यस्थल की सफाई करते हैं।
- पूजा के बाद प्रसाद बांटा जाता है।
- कई जगह पर इस दिन पतंगबाजी का भी आयोजन किया जाता है।
विश्वकर्मा पूजा की विधि
- पूजा स्थल को साफ-सुथरा करें और भगवान विश्वकर्मा व भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- पूजा के लिए कुमकुम, अक्षत (चावल), फूल, फल, मिठाई, सुपारी, धूप, रक्षासूत्र और जल से भरा कलश रखें।
- भगवान विश्वकर्मा को फूल चढ़ाएं और तिलक लगाएं।
- कलश पर भी रोली और अक्षत लगाएं।
- ‘ॐ श्री सृष्टनाय सर्वसिद्धाय विश्वकर्माय नमो नमः’ या ‘ॐ विश्वकर्मणे नमः’ मंत्र का जाप करें।
- मशीनों और औजारों को तिलक लगाकर फूल चढ़ाएं।
- भगवान को मिठाई का भोग लगाकर आरती करें।
- अंत में सभी लोगों में प्रसाद वितरित करें।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व
मान्यता है कि सच्चे मन से भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से जीवन में सफलता और समृद्धि आती है।
- व्यापार में तरक्की होती है।
- कामकाज में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं।
- घर और कार्यस्थल पर सुख-शांति बनी रहती है।
विश्वकर्मा जी की आरती
ॐ जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता, रक्षक श्रुति धर्मा॥ ॐ जय…
आदि सृष्टि में विधि को श्रुति उपदेश दिया।
जीव मात्रा का जग में, ज्ञान विकास किया॥ ॐ जय…
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नहीं पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥ ॐ जय…
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर, दूर दुःख कीना॥ ॐ जय…
जब रथकार दंपति, तुम्हरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत हरी सगरी॥ ॐ जय…
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज, सकल रूप सजे॥ ॐ जय…
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शक्ति पावे॥ ॐ जय…
“श्री विश्वकर्मा जी” की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानंद स्वामी, सुख संपति पावे॥ ॐ जय…