हार्वर्ड में विदेशी छात्रों की नो एंट्री! यूनिवर्सिटी ने राष्ट्रपति ट्रंप के आदेश को दी चुनौती

by Hind Lehar

मैसाचुसेट्स (अमेरिका)। हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने संस्थान में पढ़ने के इच्छुक विदेशी छात्रों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के देश के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश को चुनौती देते हुए कहा है कि ‘व्हाइट हाउस’ (अमेरिका के राष्ट्रपति का आधिकारिक आवास एवं कार्यालय) की मांगों को अस्वीकार करने के कारण बदले की भावना से यह कदम उठाया गया है। ट्रंप ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ने के इच्छुक लगभग सभी विदेशी छात्रों का देश में प्रवेश रोकने के लिए एक शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं। यह ‘आइवी लीग स्कूल’ से अंतरराष्ट्रीय छात्रों को दूर रखने का उनका नया प्रयास है। ‘आइवी लीग’ हार्वर्ड विश्वविद्यालय समेत अमेरिका के आठ प्रतिष्ठित निजी विश्वविद्यालयों का समूह है।

हार्वर्ड ने बृहस्पतिवार को दायर संशोधित शिकायत में राष्ट्रपति की कार्रवाई को अदालत के पहले के आदेश को दरकिनार करने वाला कदम बताया। पिछले महीने एक संघीय न्यायाधीश ने गृह सुरक्षा विभाग को हार्वर्ड की विदेशी छात्रों को मेजबानी देने की क्षमता को रद्द करने से रोक दिया था। याचिका में ट्रंप के इस कदम के कानूनी अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाए गए हैं।

ट्रंप ने उस संघीय कानून के तहत यह प्रतिबंध लगाया है जो उन्हें राष्ट्र के हितों के लिए हानिकारक माने जाने वाले ‘‘विदेशियों के वर्ग’’ को रोकने की अनुमति देता है। हार्वर्ड ने अपनी याचिका में कहा कि केवल उन लोगों को ‘‘विदेशी वर्ग’’ के रूप में वर्गीकृत करना अनुचित है जो हार्वर्ड में अध्ययन करने के लिए अमेरिका आ रहे हैं।

विश्वविद्यालय ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति की कार्रवाई अमेरिका के हितों की रक्षा के लिए नहीं, बल्कि हार्वर्ड के खिलाफ सरकार का प्रतिशोध लेने के लिए की गई है।’’ ट्रंप ने बुधवार को एक शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किए जिसमें घोषणा की गई है कि हार्वर्ड को मैसाचुसेट्स के कैम्ब्रिज स्थित अपने परिसर में विदेशी छात्रों को दाखिला देने की अनुमति देना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा होगा।

ट्रंप ने आदेश में लिखा, ‘‘मैंने यह तय किया है कि उक्त वर्णित ‘विदेशी नागरिकों के वर्ग’ का प्रवेश अमेरिका के हितों के लिए हानिकारक है क्योंकि मेरे विचार में हार्वर्ड के आचरण ने इसे विदेशी छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए अनुपयुक्त गंतव्य बना दिया है।’’ यह देश के सबसे पुराने और सबसे धनी विश्वविद्यालय के साथ ‘व्हाइट हाउस’ के टकराव की दिशा में एक और कदम है।

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